गंगा किनारे जैसे सवेर
पानी में बहती फूलों सा चेहर
गालियों की हलचल रौनक शहर की त
तेरे मेरे हैं मिलते सितार
मिलते सितारे सारे के सार
बोले मोहल्ला रौनक शहर की त
तेरी चाहत की धुन में हूँ धुंधलाया म
लो मस्ताया मस्ताया मस्ताया म
तेरी खातिर ज़माने में मैं आय
हाँ आया मैं, मैं आय
मैंने बिन तेरे कई दिन काट
पूरे हो चाहत के घाट
पाने की तुझको थोड़ी जल्दी ह
हो मैंने बिन तेरे कई दिन काट
बातों से भर मेरे सन्नाट
पाने की तुझको थोड़ी जल्दी ह
तेरी धुंध धुंध में डूब डूब म
बन मलंग मैं मस्ताय
धुंध धुंध में डूब डूब म
बन पतंग मैं पागलाय
धुंध धुंध में डूब डूब म
मस्ताया मस्ताया म
पागलाया म
हो मैंने बिन तेरे कई दिन काट
बातों से भर मेरे सन्नाट
पाने की तुझको थोड़ी जल्दी ह
ये ख्वाहिश ये कोशिश
रंग लाए दिल मिलाए
कोई दूरी कोई देरी न रह
हो मैं अक्सर ही तड़प कर
मांगता हूँ ये दुआए
कोई दूरी कोई देरी न रह
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